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विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। लेकिन 75 लाख यूनिट ही उपलब्ध हो पाता है। यानी क़रीब 25 लाख यूनिट ख़ून के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं। भारत की आबादी सवा अरब है, जबकि रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं है। भारत में कुल रक्तदान का केवल 49 फीसदी रक्तदान स्वेच्छिक होता है। राजधानी दिल्ली में तो स्वैच्छिक रक्तदान केवल 32 फीसदी है। दिल्ली में 53 ब्लड बैंक हैं पर फिर भी एक लाख यूनिट ख़ून की कमी है।विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। संगठन ने वर्ष 1997 में यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को ही बढ़ावा दें। इसका मकसद यह था कि किसी भी व्यक्ति को रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए उसे पैसे देने की जरूरत ना पड़े।
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