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जैसे -जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं वैसे- वैसे माता-पिता का उनके साथ वक़्त बिताना कम होता जाता है। बच्चे धीरे-धीरे स्वावलंबी होते चले जाते हैं और नई चीजों को जानने की उनकी जिज्ञासा बढती जाती है और वे ज्यादा से ज्यादा सीखना चाहते हैं। बच्चों के ऊपर उनके माता-पिता का सबसे ज्यादा प्रभाव होता है।
जब बच्चे छोटे होते हैं या थोड़े बड़े हो रहे होते है तब शिक्षक उनके संज्ञानात्मक, भावनात्मक एवं सामाजिक विकास में बहुत हीं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संज्ञानात्मक विकास और शिक्षा किसी भी बच्चे के भविष्य के निर्माण में बहुत हीं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। निम्नलिखित वो क्षेत्र हैं जिनमें उनके शिक्षक बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।
बच्चों के विकास में शिक्षकों की भूमिका यह है कि वो बच्चों की क्षमता का निरीक्षण कर उनका मूल्यांकन कर सकते हैं। अपने बच्चों के शिक्षकों के साथ अच्छा तालमेल बनाएं रखें एवं उनसे नियमित रूप से मिलते रहे,
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