- 342 Posts
- 126 Comments
31 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘नो टोबैको डे’ तम्बाकू रहित दिवस घोषित किया है और इसका ध्येय है तम्बाकू के इस्तेमाल को कम करने की नयी नीतियां बनाना क्योंकि विश्व भर में तम्बाकू का सेवन मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बन रहा है । वर्ष 2010 महिलाओं पर होने वाले तम्बाकू के प्रभाव पर केंद्रित है ।
आजीवन रहने वाली बीमारियां जैसे कैंसर, फेफड़ों के रोग, हृदय के रोग का मुख्य कारण तम्बाकू का सेवन है । बहुत से देशों में तो तम्बाकू के प्रचार पर भी रोक है । तम्बाकू के उत्पादों में 4000 से भी अधिक घातक रसायन होते हैं और इसमें तम्बाकू की पात्तियों का प्रयोग होता है। ये सभी शरीर के विभिन्न अंगों को किसी न किसी रूप में नुकसान पहुंचाते हैं। समय रहते बचाव नहीं करने पर इसका नतीजा घातक बीमारी के रूप में सामने आ सकता है। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल तंबाकू की वजह से दस लाख से अधिक लोगों की मौत होती है।
तम्बाकू के प्रभाव :
• निकोटिन शरीर के तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है। इसके प्रभाव से दिल की धड़कन और रक्तचाप में भी वृद्धि हो जाती है। इस जहरीले पदार्थ से शरीर की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
• तम्बाकू फार्मेल्डिहाइड, आर्सेनिक सायनाइड, बेंजो पायरीन सहित कई रसायनों का मिश्रण होता है।
• कार्बन मोनो आक्साइड रक्त में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन में आक्सीजन की तुलना में अधिक आसानी से घुल जाता है। इसके कारण रक्त में आक्सीजन की कमी होने लगती है।
• धमनियों में कोलेस्ट्राल और अन्य वसा का जमाव होने के कारण धमनियों की दीवारें धीरे-धीरे मोटी हो कर बंद हो जाती हैं। इसका परिणाम आकस्मिक मौत के रूप में सामने आता है।
• महिलाओं में भी धूम्रपान की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इससे उन्हें कैंसर, गर्भपात, समय पूर्व प्रसव, गर्भस्थ शिशु पर प्रतिकूल प्रभाव आदि का खतरा रहता है। धूम्रपान करने वाली महिलाओं को फेफड़े, गले और मुंह के कैंसर का खतरा अधिक होता है ।
To read more such articles visit us at http://onlymyhealth.com
Read Comments